Vandana Jainजब से मैं इस दुनिया में आई हूं, मैंने अपनी माँ का सिर्फ प्यार और निस्वार्थ रूप देखा है। शायद किसी और ही मिट्टी से बनती है हमारी माँ। वो हमेशा अपने परिवार की ज़रूरतों को अपनी इच्छाओं से ऊपर रखती है। हम कभी-कभी भूल जाते हैं कि वो सिर्फ एक माँ या पत्नी हीं, एक इंसान भी है जिनके खुदके शौक, प्रतिभा और जुनून है - उनका ये रूप अक्सर छुपा हुआ ही रह जाता है। यह किताब मेरी माँ की लिखी हुई कविताओं का एक संग्रह है जो उन्होंने अपनी जिंदगी के अलग-अलग पड़ाव में लिखा था। ये किताब उनकी पहचान है - जहां वो सिर्फ मेरी माँ नहीं बल्कि एक आम इंसान की तरह मुस्कुराती है, रोती है, उदास भी होती है पर हमारी ही तरह अपनी जिंदगी जीने की कोशिश कर रही है। आशा करती हूं आपको भी यह किताब उतनी ही पसंद आएगी जितनी मुझे है। अपनी माँ को ये जरूर पढ़ाएं। लव यू मम्मा। - हिमानी जैन Read More Read Less
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